रात चाँदनी छाई हुई है
चमक रहा है तारा
ठंडी ठंडी ये पुरवई
सोचो किसने बनाया
हो तुम ही हो पहले
तुम ही हो आख़िर
तुम ही से सारा जहाँ
तुम ही से माँ बाप
तुम ही से बचपन
तुम ही से समा
पेड़ परिंदे पानी का झरना
तुम से चमन का महकना
नीले नीले फूलों में भवरों
का है यही गुनगुना ना
हो तुम ही से शबनम
तुम ही से खुश्बू
तुम ही से है यह बहार
तुम ही से झोंके मस्त हवा के
तुम ही से फ़िज़ा
हू हू हू हू हू हू हू
ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म
दोनो जहाँ का तू है उजाला
रब तूने है हुमको पाला
तेरा है अंबर
तेरी है धरती
तेरा है यह जग सारा
ओ तुम ही से बादल
तुम ही से सावन
तुम ही से है ये घटा
तुम ही से बिजली
तुम ही से तूफान
तुम ही से खुमार
हू हू हू हू हू हू हू
ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म