Lata Mangeshkar
Agar Yeh Husn Mera
अगर ये हुस्न मेरा प्यार के शोलों में ढल जाए
अगर ये हुस्न मेरा प्यार के शोलों में ढल जाए
तो फिर इंसान है क्या चीज़, पत्थर भी पिघल जाए
तो फिर इंसान है क्या चीज़, पत्थर भी पिघल जाए
तो पत्थर भी पिघल जाए

भरी महफ़िल में
हर कोई मुझे अपना समझता हैं

मेरी महफ़िल का ना पूछो आलम
कोई शोला है तो कोई शबनम है
शौक़-ए-दीदार यहाँ हैं सब को
दिल का आज़ार यहाँ हैं सब को
सब मेरे प्यार के मस्ताने हैं
सब मेरे हुस्न के दीवाने हैं

तक़ाज़ा हुस्न का ये है सभी को एक नज़र देखूँ
यहाँ देखूँ, वहाँ देखूँ, इधर देखूँ, उधर देखूँ

क्योंकि भरी महफ़िल में
हर कोई मुझे अपना समझता हैं

अगर मैं एक तरफ़ देखूँ तो दीवानों में चल जाए
अगर ये हुस्न मेरा प्यार के शोलों में ढल जाए
तो फिर इंसान है क्या चीज़, पत्थर भी पिघल जाए
तो पत्थर भी पिघल जाए
अचानक अपने चेहरे से
उठा दूँ मैं अगर पर्दा

सुर्ख़ियाँ हैं मेरे रुख़सारों पर
जैसे कुछ फूल हों अंगारों पर
एक मुअम्मा है जवानी मेरी
सारी दुनिया हैं जवानी मेरी
लोग आते हैं तमन्ना लेके
किसकी हिम्मत हैं जो मुझको देखें

नज़र वाले ख़फ़ा होकर जो कहते हैं तो कहने दूँ
मुनासिब है कि अपने हुस्न को पर्दे में रहने दूँ

क्योंकि अचानक अपने चेहरे से
उठा दूँ मैं अगर पर्दा

कोई बेहोश हो जाए, किसी का दम निकल जाए
अगर ये हुस्न मेरा प्यार के शोलों में ढल जाए
तो फिर इंसान है क्या चीज़, पत्थर भी पिघल जाए
तो पत्थर भी पिघल जाए