Shankar Ehsaan Loy
Bolo Kab Pratikar Karoge
पूछ रहा अस्तित्व तुम्हारा

कब तक ऐसे वार सहोगे

बोलो, बोलो कब प्रतिकार करोगे

बोलो कब प्रतिकार करोगे
(दीर दीर हर हर महादेव)
बोलो कब प्रतिकार करोगे
(दीर दीर हर हर महादेव)

पूछ रहा अस्तित्व तुम्हारा
कब तक ऐसे वार सहोगे
हो, पूछ रहा अस्तित्व तुम्हारा
कब तक ऐसे वार सहोगे
बोलो, बोलो कब प्रतिकार करोगे
बोलो कब प्रतिकार करोगे
(दीर दीर हर हर महादेव)
बोलो कब प्रतिकार करोगे

अग्नि वृद्ध होती जाती है
यौवन निर्झर छूट रहा है
प्रत्यंचा भर्रायी सी है
धनुष तुम्हारा टूट रहा है
कब तुम सच स्वीकार करोगे
बोलो, बोलो
बोलो, बोलो कब प्रतिकार करोगे...
कम्पन है वीणा के स्वर में
याचक सारे छन्द हो रहे
रीढ़ गर्व खोती जाती है
निर्णय सारे मंद हो रहे

(कम्पन है वीणा के स्वर में
याचक सारे छन्द हो रहे
रीढ़ गर्व खोती जाती है
निर्णय सारे मंद हो रहे )

क्या अब हाहाकार करोगे
क्या अब हाहाकार करोगे
बोलो, बोलो कब प्रतिकार करोगे...