Shankar Ehsaan Loy
Mast Magan
इश्क़ की धूनी रोज़ जलाए
उठता धुआँ तो, उठता धुआँ तो
कैसे छुपाए? कैसे छुपाए?

हो, अखियाँ करें जी-हज़ूरी
माँगे हैं तेरी मंज़ूरी
कजरा सियाही दिन रंग जाए
तेरी कस्तूरी रैन जगाए

मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
बस तेरा नाम दोहराए
मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
बस तेरा नाम दोहराए
हो, चाहे भी तो भूल ना पाए

मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
बस तेरा नाम दोहराए
मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
तेरा नाम दोहराए

हो, जोगिया जोग लगा के
ਵੱਖਰਾ ਰੋਗ ਲਗਾ ਕੇ
इश्क़ की धूनी रोज़ जलाए
उठता धुआँ तो कैसे छुपाए?

मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
बस तेरा नाम दोहराए
मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
बस तेरा नाम दोहराए
चाहे भी तो भूल ना पाए
मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
बस तेरा नाम दोहराए
मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
तेरा नाम, बस तेरा नाम दोहराए

ओढ़ के धानी रीत की चादर
आया तेरे शहर में राँझा तेरा
दुनिया, ज़माना, झूठा फ़साना
जीने-मरने का वादा साँचा मेरा

हाँ, शीशमहल ना मुझको सुहाए
तुझ संग सूखी रोटी भाए

मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
बस तेरा नाम दोहराए
मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
बस तेरा नाम दोहराए
हो, चाहे भी तो भूल ना पाए

मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
बस तेरा नाम दोहराए
मन मस्त-मगन, मन मस्त-मगन
तेरा नाम दोहराए