Sunidhi Chauhan
Manzoor-e-Khuda
बाबा लौटा दे मोहे गुडिया मोरी
अंगना का झूलना भि
इमली की दार वाली मुनिया मोरी

चांदी का पैंजना भि
इक हाथ मै चिंगारीया
इक हाथ मै साज है
हंसे की है आदत हमे

हर घम पे भि नाज है
आज अपने तमाशे पे मेहफिल को
करके रहेंगे फिदा

जब तलक ना करे जिस्म से जान
होगी नही ये जुदा
मंझूर-ए-खुदा

मंझूर-ए-खुदा
अंजाम होगा हमारा जो है
मंझूर-ए-खुदा

मंझूर-ए-खुदा ……
मंझूर-ए-खुदा ………
तुटे सितारो से रोशन हुआ है
नूर-ए-खुदा
हो चार दीन की गुलामी
जिस्म की है सलामी
रूह तो मुद्दतो से आझाद है
हो.. हम नही है यहा के

रेहने वाले जहा के
वो शेहर आसमान मै आबाद है
हो खिळते हि उजाडना है

मिळते हि बिछडना है
अपनी तो कहाणी है ये
कागज के शिकारे मै

दरिया से गुजारना है
ऐसी जिंदगानी है ये
जिंदगानी का हमपे जो है कर्ज

कर के रहेंगे अदा
जब तलक ना करे जिस्म से जान

होगी नही ये जुदा
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा

अनजाम होगा हमारा जो है
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा………
मंझूर-ए-खुदा……..
तुटे सितारो से रोशन हुआ है
नूर-ए-खुदा

बाबा लौटा दे मोहे गुडिया मोरी
अंगना का झूलना भि
इमली की दार वाली मुनिया मोरी

अमिताब बच्चन डायलोग
आजादी है गुनाह
तो कबूल है सझा

अब तो होगा वही
जो है मंझूर-ए-खुदा