Zack Knight
Chahat

[अंतरा 1]
सुबह की चाय के साथ, एक किताब हाथों में
पकौड़ों की बात हो, दिल चला जाए कहीं
आलू से लेकर प्याज़ तक, हर पेज में स्वाद है
मेरी चाहत ये नहीं, बस एक जज़्बात है

[कोरस – नया]
रास्ते पेटों के सारे
पकोड़े से मिले हैं
ज़ुबान पे पकोड़े बातों
के सिलसिले हैं
तू ही सब फ्लेवर में
पेट की सब हंगर में
ऐसा लगे है
पकोड़े चाहतों पे खो गए हैं हम

[अंतरा 2]
लाइब्रेरी में बैठी हूँ, हाँ भूख लगी है
मैगी नहीं, मुझे तो मूंग दाल की चाहिए
कढ़ी के साथ का रिश्ता भी लिखा गया है
राइटर भी फूडी था, ये लिखने से समझाया है

[ब्रिज]
जो लोग कहते हैं, "ये क्या पागलपन है?"
उनको क्या पता, पकोड़ा भी एक कल्पना है
हर लाइन में तेल की चमक, हर वर्ड में प्याज़ है
मेरी किताब मेरी मोहब्बत, ये मेरी आवाज़ है
[कोरस – दोहराया गया]
रास्ते पेटों के सारे
पकोड़े से मिले हैं
ज़ुबान पे पकोड़े बातों
के सिलसिले हैं
तू ही सब फ्लेवर में
पेट की सब हंगर में
ऐसा लगे है
पकोड़े चाहतों पे खो गए हैं हम

[आउट्रो]
तो जब भी बारिश हो, या हो उदासी का सामान
एक किताब उठाओ, पकोड़ों का लिखा ज्ञान
मोहब्बत हो सकती है, कभी अजब रंग में
मेरी चाहत तो लिखी है, बेसन के संग में...