Jagjit Singh
Socha Nahin Achha Bura
सोचा नहीं अच्छा-बुरा, देखा-सुना कुछ भी नहीं
सोचा नहीं अच्छा-बुरा, देखा-सुना कुछ भी नहीं
माँगा खुदा से रात-दिन
माँगा खुदा से रात-दिन, तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा नहीं अच्छा-बुरा, देखा-सुना कुछ भी नहीं

देखा तुझे, सोचा तुझे, चाहा तुझे, पूजा तुझे
देखा तुझे, सोचा तुझे, चाहा तुझे, पूजा तुझे
मेरी ख़ता, मेरी वफ़ा, तेरी खता कुछ भी नहीं
माँगा खुदा से रात-दिन, तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा नहीं अच्छा-बुरा, देखा-सुना कुछ भी नहीं

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात-भर
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात-भर
भेजा वहीं कागज़ उसे, हमने लिखा कुछ भी नहीं
माँगा खुदा से रात-दिन, तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा नहीं अच्छा-बुरा, देखा-सुना कुछ भी नहीं

एक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक
एक शाम की दहलीज पर, बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत, मुँह से कहा कुछ भी नहीं
माँगा खुदा से रात-दिन, तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा नहीं अच्छा-बुरा, देखा-सुना कुछ भी नहीं