Jagjit Singh
In Ashqon Ko
इन अश्कों को "पानी" कहना, भूल नहीं, नादानी है
इन अश्कों को "पानी" कहना, भूल नहीं, नादानी है
तन-मन में जो आग लगा दे
तन-मन में जो आग लगा दे ये तो ऐसा पानी है
इन अश्कों को "पानी" कहना, भूल नहीं, नादानी है

कैसे तुमसे इश्क़ हुआ था, क्या-क्या हम पर बीती है
कैसे तुमसे इश्क़ हुआ था, क्या-क्या हम पर बीती है
सुन लो तो सच्चा अफ़साना, वरना एक कहानी है
तन-मन में जो आग लगा दे ये तो ऐसा पानी है
इन अश्कों को "पानी" कहना, भूल नहीं, नादानी है

शैख़-ओ-बरहमन, ज़ाहिद-ओ-वाइज़, पीरी में ये क्या जानें
शैख़-ओ-बरहमन, ज़ाहिद-ओ-वाइज़, पीरी में ये क्या जानें
भूल भी हो जाती है इसमें, इसका नाम जवानी है
तन-मन में जो आग लगा दे ये तो ऐसा पानी है
इन अश्कों को "पानी" कहना, भूल नहीं, नादानी है

दुख-सुख सहना और ख़ुश रहना, इश्क़ में लाज़िम है ये, सहर
दुख-सुख सहना और ख़ुश रहना, इश्क़ में लाज़िम है ये, सहर
दिल वाले हो, मत घबराओ, ये तो रीत पुरानी है

तन-मन में जो आग लगा दे
तन-मन में जो आग लगा दे ये तो ऐसा पानी है
इन अश्कों को "पानी" कहना, भूल नहीं, नादानी है