Jagjit Singh
Abhi Who Kamsin
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझ पर इताब आधा
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा

मेरे सवाल-ए-वस्ल पर तुम नज़र झुका कर खड़े हुए हो
मेरे सवाल-ए-वस्ल पर तुम नज़र झुका कर खड़े हुए हो

तुम्हीं बताओ ये बात क्या है, सवाल पूरा, जवाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझ पर इताब आधा
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा

लगा के लारे पे ले तो आया हूँ शैख़ साहब को मय-कदे तक
लगा के लारे पे ले तो आया हूँ शैख़ साहब को मय-कदे तक

अगर ये दो घूँट आज पी लें, मिलेगा मुझको सवाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझ पर इताब आधा
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा

कभी सितम है, कभी करम है, कभी तवज्जो, कभी तग़ाफ़ुल
कभी सितम है, कभी करम है, कभी तवज्जो, कभी तग़ाफ़ुल

ये साफ़ ज़ाहिर है मुझ पे अब तक, हुआ हूँ मैं कामयाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझ पर इताब आधा
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा