Pritam
Nagada Nagada
होए रंग पुरेदी रंग रंगीली
लड़की छैल छपीली
उसदे चंचल नैन कटार
अरे चंचल नैन कटार ते उसदा
रूप बना हथियार
उसके रूप से कतल हुए तो
चर्चा शुरू हुआ
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा

जब भी वो लड़की, खिड़की पे आए
कोई उसको देख मरे
कोई बिन देखे मर जाए
अरे गुज़रे गली मोहल्ले से
तो मेला सा लग जाता था
हर इक आशिक ईद मानता
भंगड़ा गाता था
खतम ना होता दीवानों का
जलसा शुरू हुआ
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा...

मेरी भरी जवानी वे राँझणा जो गन्ने दी कोरी
नैना नू समझा ले ए करदे रूप मेरे दी चोरी
मेरी भरी जवानी वे राँझणा...

अरे बचपन से उसका, एक दीवाना था
जिसका काम गली के आशिक परे हटाना था
दिल से जिसको मान रहा था
अपने दिल की राणी वो
और किसी पे ही यारो मारती थी मरजाणी वो
एक कहानी ख़तम तो दूजा किस्सा शुरू हुआ
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा...
रंग पुरेदी रंग रंगीली...