Shreya Ghoshal
ओ बेखबर - O Bekhabar
ओ बेखबर ओ बेकदर
बेताबियों को ना बढ़ा
आ देख ले है प्यार का
कैसा नशा मुझपे चढ़ा
ओ बेखबर ओ बेकदर
बेताबियाँ बेचैनियाँ है जवाँ
मेरी नज़र ढूंढें तुझे तू कहाँ
आ तुझको मैं आँखों का काजल बना लूँ
ओ बेखबर ओ बेकदर
चाहूँगी मैं यूँ ही तुझे बेपनाह
आ तुझको खुशी सा लबों पे सजा लूँ
ओ बेखबर ओ बेकदर...
रूप हूँ तेरी धूप हूँ, तू सूरज है मन का मेरे
या घनी मैं हूँ रौशनी
अब चलती हूँ, ढलती हूँ तुझको ही थामे
इक पहर, तू कहे ठहर तो जाऊँ न दर से तेरे
हर घड़ी मुश्किलों भरी क्यूँ लगती है
जो भी बदलती है बिन तेरे
तू मिले तो सिलसिले हो वो शुरू
जो है खुदा की रज़ा
तेरे बिना है ज़िंदगी बेमज़ा
तू मिल जाए तो मैं जहां से छूपा लूँ
ओ बेखबर ओ बेकदर...
प्यार भी यूँ कभी-कभी, कर देता परेशानियाँ
हर जगह वो ही वो लगे
वो आशिक़ अनाड़ी जो दिल दे के लेता जा
पास भी हो वो दूर भी
ये क्यूँ हो वो बतलाए ना
दिल डरे, मिन्नतें करे
अब उसको ये बोलो के आए तो जाए ना
दे वजह गर हो पता
क्या है यही दिल की ख़ता की सज़ा
खुद में ही मैं, होती हूँ क्यूँ लापता
मैं जानूँ ना इस दिल को कैसे संभालूँ
ओ बेखबर ओ बेकदर...