Vishal Mishra
Zindagi
हम कहाँ, तुम कहाँ
तुम कहाँ, हम कहाँ

हम कहाँ, तुम कहाँ...
सारे मौसम ख़ुशनुमा थे
सर पे कितने आसमां थे
एक पल में ही ना जाने
क्या हुआ
दूर तक अंधेरे
दूर हैं सवेरे
रास ही ना आए ज़िंदगी
आए हैं कहाँ से
जाएंगे कहाँ को
कुछ तो बताए ज़िंदगी

क्या से ये क्या हो गया
क्यूँ तू जुदा हो गया
ख्वाबों में था जो शहर
क्यूँ लापता हो गया
सारे जुगनू खो गये हैं
हाथ खाली हो गये हैं
एक पल में ही...

यादों की बदली घिरी
हर सांस है बावरी
दीवारों से मुझे
आती है खुशबू तेरी
कुछ तो बोलो किस लिए तुम
बिन बताए हो गए गुम
एक पल में ही...