Akhil Sachdeva
Humsafar
सुन जालिमा मेरे सानू कोई डर ना
की समझेगा जमाना
ओ तू भी सी कमली
मैं भी सा कमला
इश्क दा रोग सेयाना
इश्क दा रोग सेयाना

सुन मेरे हमसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर

सुन मेरे हमसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर
की तेरी सांसे चलती जिधर
रहूंगा बस वही उम्रभर
रहूंगा बस वही उम्रभर हाए

जितनी हसीन ये मुलाकातें है
उनसे भी प्यारी तेरी बातें है
बातों में तेरी जो खो जातें है
आऊं ना होशमे में कभी
बाहोंमे है तेरी जिंदगी हाए

सुन मेरे हमसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर

जालिमा तेरे इश्क्च में
हो गई आ कमली हाए
में तो यू खडा किस
सोच में पडा था
कैसे जी रहा था में दिवाना
चुपकेसे आके तूने
दिल में समाके तूने
छेड़ दिया कैसा ये फसाना

ओ मुस्कुराना भी तुझीसे सीखा है
दिल लगानेका तू ही तरीका है
ऐतबार भी तुझीसे होता है
आऊं ना होशमे में कभी
बाहोंमे हैं तेरी जिंदगी हाए

हैं नहीं था पता
के तुझे मान लूंगा खुदा
की तेरी गलियों में इस कदर
आऊंगा हर पहर

सुन मेरे हमसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर
की तेरी सांसे चलती जिधर
रहूंगा बस वही उम्रभर
रहूंगा बस वही उम्रभर हाए

जालिमा तेरे इश्क्च में